खुशी

ये रेत की तरह है, जितना कस के पकड़ना चाहो हाथ से फिसलते चली जाती है। तितली की तरह है, अगर पीछा करो तो भाग जाती है।

पर अगर स्थिर रहो, शांत रहो तो संभव है कि रेत लम्बे समय तक हमारे हाथ में ही रहे; तितली हमारे सामने आकर बैठ जाये।

खुशी चीज ही ऐसी है। कभी कभी हम जितना इसके पीछे भागते हैं, उतना हमसे दूर जाते जाती है। पर अगर हम इसकी आशा न रखें तो हमें पता चलता है कि जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियां हमारे आसपास ही होती हैं, हम ही किसी और उम्मीद में इन पर ध्यान नहीं दे पाते।

हमें चाहिए कि इन छोटी छोटी खुशियों को जी भरकर जियें, उन्हें समय दें, उन्हें महसूस करें। ये हमेशा नहीं रहेगी, हमें उस पल को नहीं खोना चाहिए। अगर इन्हीं पलों में खुश रह सकें तो शायद वो भी मिल जाए जिसकी तलाश में हम बेचैन रहते हैं।

हमें अहसास होगा कि हम जिसके पीछे भागते रहते हैं, वो हमसे कोई बहुत दूर नहीं है, हम ही देख नहीं पाते !!

अगर किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो सारी कायनात ...... सिर्फ फिल्म में होता है 😀

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